Showing posts with label mainhan. Show all posts
Showing posts with label mainhan. Show all posts

Tuesday, May 25, 2010

बूढ़ा नीम- तृतीय खण्ड

***********************************************************************************
बूढ़ा नीम- तृतीय खण्ड
(रचना काल- २७ जुलाई २००५)
यह बूढ़ा पेड़
इसकी मौजूदगी में मैं बढ़ा
तरूणाई से जवानी तक
जब मैं छोटा था
इसकी खाल का चिफ़्फ़ुर
घिस-घिस कर लगाता
कटने और जलने पर
आज जब अंग्रेजी मलहम लगाता हूं
तो याद आ जाता है
नीम के पेड़ का वह स्नेह
जो औषधि के रूप में
परिलक्षित होता था

पता नही क्यों मैं जान नही पाया
वे चिफ़्फ़ुर लक्षण थे मृत्यु के
या फ़िर निरमोही हो गया था
यह वृद्ध वृक्ष स्वंम से!
या ऊब चुका था भौतिकता से
या यह सत था लम्बी उम्र का
साधना का
जो लाभान्वित कर रहा था
औषधि के रूप में
या फ़िर प्रसाद था यह!
अन्दर से खोखला हो चुका वृक्ष
जिसकी खोह में मैं छुप जाया करता था
चोर-सिपाही के खेल में!
अब एक शाखा भी सूख चुकी थी
मैने कटवा डाली वह..............
शाखा इस भय से
कही यह वृक्ष धराशाही ना हो जाय इस बोझ से
मै अपराध बोध सा महसूस करता हूँ
पर सोचता हूँ
अनचाहा घातक अंग
अलग कर दिया मैने
किसी डाक्तर की तरह
एक हरी-भरी विशाल शाखा के साथ खड़ा यह वृक्ष
और इसका कटा हुआ रूण्ड
फ़िर पल्ल्वित होने लगा
कुच हरी-भरी कोमल शाखाये
मानो कह रही हैं!
जीवन जटिल व कठिन है
जो कभी नष्ट नही होता है
रूप बदल जाते है!
और आकार भी!

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन-262727
खीरी
भारत
09451925997


***********************************************************************************