वर्जना
-कृष्ण
तुझमें क्या हैं
जो पागल बनाता है मुझें
नित नई तरंग नित नया अध्याय
जो तुझसे है संबन्धित!
तेरा ही गुणगान तेरा ही मान
क्यो भाता है मुझे
इतना अपनापन इतनी आत्मीयता
जो सिर्फ तुझसे है
कितना ससक्त है तेरा आकर्षण
जो हमेशा लुभाता है मुझे
तेरा ही स्मरण
चाहे हो उसमें कटुता या सरसता
हर वक्त याद तेरी दिलाता है मुझे
क्या प्रेम है तुझसे या मात्र आकर्षण
या वासना का जाल
किससे ग्रसित है मेरा मन
असमंजस में हूँ
फ़िर भी निश्छ्ल हूँ
कयोंकि तुझ पर ही पूर्ण समर्पित हूँ
कृष्ण कुमार मिश्र
७७, कैनाल रोड़ शिव कालोनी लखीमपुर खेरी
उत्तर प्रदेश
भारत
3 comments:
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। उम्मीद है नियमित लिखना शुरु करेंगे। अपना ब्लॉग नारद पर अवश्य रजिस्टर कराएं। हिन्दी टाइपिंग और ब्लॉगिंग संबंधी पूर्ण जानकारी सर्वज्ञ विकी पर मौजूद है। किसी भी प्रकार की सहायता हेतु निसंकोच संपर्क करें।
आपके ब्लॉग URL में "देवनागरी" की स्पैलिंग devnagiri है जो कि अशुद्ध है, यह devanagari होनी चाहिए।
simply awesum ...!aapne to humein nishabd kar diya !
I WANNA THANK YOU!
YOU HAVE THE GIFT OF BEEING A GREAT PHOTOGRAPHER IN YOUR LIFE,,
AND YOU SHARE IMAGES THAT MAKE PEOPLE LOVE INDIA EVEN MORE !!
Post a Comment