दीवानगी
कौन रहता है मुस्तकिल अपने असूलों पर
लोग हर लम्हा यहां रंग बदलते है
किस पर हो यकीं किस पर गुमां करू
लोग हर रोज नई शक्ल मे ढलते है
किससे करूं वफ़ा बेवफ़ा किसे कहूं
यहां नफरत को लोग बडे ढंग से समझते है
मिज़ाज अपना ही बदल लेता हूँ कृष्ण
दीवानगी की लोग यहाँ कद्र कहा करते है
कृष्ण कुमार मिश्र
लखीमपुर खीरी
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