Tuesday, May 25, 2010

बूढ़ा नीम- द्वितीयखण्ड

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बूढ़ा नीम- द्वितीय खण्ड
यह बूढ़ा पेड़
मुझे स्मरण कराता है

कुछ बाते बचपन की
सावन में उन झूलों की
इसकी शाखायें
झुलाती थी मुझे
ले जाती थी दूर
कल्पनाओं के संसार में
पहले कुश से बटे जाते थे ये झूले
फ़िर सनई और बाद में प्लास्टिक
और अब सब खत्म हो चुका है
शाखायें है पर सूखी कमजोर सी
कुछ इतना नीचे
या फ़िर मैं बड़ा हो चुका हूँ
सब कुच अटपटा सा हो गया है
सोचता हूँ तो सिहर जाता हूँ
पर यादें तो यादें है!
कुछ याद दिला ही जाती है
कभी रूलाती है
तो कभी हंसा जाती हैं
पर मस्तिष्क पर छोड़ जाती है
एक गुबार सा
अगले पल मैं फ़िर जुट जाता हूँ
अपने उसी चिर-परिचित कर्म पथ पर
यादें लिए उस बूढ़े पेड़ की
इस प्रार्थना के साथ
यह जिए मेरे साथ और मेरे बाद भी
देता रहे जीवन सन्देश-
अन्त से अनन्त तक!

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन-२६२७२७
खीरी
09451925997

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