Tuesday, January 28, 2014

तेरी जानिब देख कर रोया था जार जार..




तेरी जानिब देख कर रोया था जार जार।

तेरी हिदायत थी की पलट कर न देखना मुझे। कृष्ण



दरम्याँ तेरे मेरे इश्क से इतर और भी हैं।

वो राहें वो दरख़्त वो निशाँ जो तेरे घर के रास्ते में हैं। कृष्ण



हमें बेहोश करने वाले तुम्हे पता है।

हमें अब शराब भी बाहोश रखती है। कृष्ण 



गम ये नहीं की वो बेगाना हो गया।

अफ़सोस वो दफ्फतन तमाम तंज दे गया। कृष्ण


कृष्ण कुमार मिश्र "कृष्ण"



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