Saturday, May 5, 2007

मेरे भाव मेरी संवेदनायें


 वर्जना
 -कृष्ण

तुझमें क्या हैं
जो पागल बनाता है मुझें
नित नई तरंग नित नया अध्याय
जो तुझसे है संबन्धित!

तेरा ही गुणगान तेरा ही मान
क्यो भाता है मुझे
इतना अपनापन इतनी आत्मीयता
जो सिर्फ तुझसे है
कितना ससक्त है तेरा आकर्षण
जो हमेशा लुभाता है मुझे
तेरा ही स्मरण
चाहे हो उसमें कटुता या सरसता
हर वक्त याद तेरी दिलाता है मुझे
क्या प्रेम है तुझसे या मात्र आकर्षण
या वासना का जाल
किससे ग्रसित है मेरा मन
असमंजस में हूँ
फ़िर भी निश्छ्ल हूँ
कयोंकि तुझ पर ही पूर्ण समर्पित हूँ

कृष्ण कुमार मिश्र
७७, कैनाल रोड़ शिव कालोनी लखीमपुर खेरी
उत्तर प्रदेश
भारत

3 comments:

ePandit said...

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VooDOO said...

simply awesum ...!aapne to humein nishabd kar diya !

marie muller said...

I WANNA THANK YOU!
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