बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर सभी मित्रों को तमाम शुभकामनाएं.... माँ सरस्वती की कृपा हो सभी पर .....सरसों के पीले पुष्पों की आभा में पीताम्बर यानी कृष्ण का प्रादुर्भाव हो ...सब कुछ कृष्णमय हो जाए .....और ये वक्त आन्दोत्सव में तब्दील हो यही कामना है मेरी ....कृष्ण
तुमको कहूं फिजा ए सहरा या पीली सरसों सा बसंत कहूं.
समझ नहीं आता है दोस्त आज के दिन तुम्हे क्या कहूं .
न तो शिद्दत है अब वो न मुद्दतों की पैमाइश है
न बेकली है अब वो और न ही वो फरमाइश है
बचा है फकत कुछ पास मेरे तो बस याद की धुधंली सी तस्वीरें
कुछ तेरे हाथ की कुछ मेरे हाथ की वो बिगड़ी हुई सी लकीरें ...
मुझे इत्मीनान तो नहीं पर थोड़ी सी राहत जरूर है
तुम मेरे पास नहीं मगर दुनिया में हम साथ तो जरूर है...
तुझको मिले दुनिया के तमाम नियामतें
इस बसंत से इतनी गुजारिश जरूर है.
पीले फूलों की चमक तेरे जीवन में रोशनी कर दे
हम रहे न रहे तुझे रोशन उसकी (अल्लाह) रोशनी कर दे
ये आरजू है न तमन्ना ये मेरी जिद है खुदा से
वो तेरे जिन्दगी को खुशनुमा बसंत कर दे ....
कृष्ण कुमार मिश्र "कृष्ण"
(रामपुर! की गोरी जंगल का छैला पृष्ठ ८९)
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